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आंसू बहा रही धरोहरें......... गोड़ा मंदिर (भरतकूप) शासन-प्रशासन की उदासीनता ने जिले की तमाम ऐतिहासिक इमारतों को खंडहर में तब्दील कर दिया है। उनमें से एक भरतकूप के पास बना गोड़ा मंदिर है। गुप्तकालीन इस इमारत की वास्तुकला देखने लायक है लेकिन अब सिर्फ उसके निशान बचे है। पुरातत्व विभाग इस इमारत को बचाने का जिम्मा तो लिए है मगर उसके आसपास बेधड़क अवैध खनन जारी है और खनन विभाग आंख मूंदे है। जिले में ऐतिहासिक व पौराणिक इमारतों की फेहरिस्त बहुत लंबी है लेकिन कुछ गुमनाम है तो कुछ संरक्षित होने के बाद भी देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खोती जा रही है। इन्हीं में एक गोड़ा मंदिर है जो जिला मुख्यालय से मात्र बीस किलोमीटर दूर है। इतिहासकारों की माने तो इसका निर्माण गुप्तकालीन शासक ने कराया था। मंदिर की बनावट से लगता है कि यह शिवालय रहा होगा लेकिन अब इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है। सिर्फ मंदिर के नाम पर पत्थरों के खंड का बना एक खंडहर है। कुछ पत्थरों में नक्काशी भी है लेकिन इसे देखने कोई जाता नहीं है। कारण है कि पुरातत्व विभाग में दर्ज होने के बाद भी गुमनाम है। पहाड़ों के पीछे छिपी इस इमारत मे...