शरभंग आश्रम वनवास काल में शरभंग मुनि से मिले थे भगवान् राम चित्रकूट धाम मे पौराणिक आश्रम शरभंग मुनि का है। टिकरिया से दुर्गम रास्तों से गुजरती हुई काली बराछ, मिठुई और शरभंगा नदियाँ पार कर शरभंग आश्रम पंहुचे। शरभंग मुनि परम तपस्वी थे और यहां रहकर अपनी आयु पूरी करने के बाद भगवान् राम के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। राम के आने के एक दिन पूर्व ब्रह्मा जी का आदेश मिलने पर देवराज इन्द्र विमान लेकर शरभंग मुनि को ब्रह्मलोक ले जाने के लिए आये थे लेकिन शरभंग मुनि ने इन्द्र के साथ ब्रह्मलोक जाने से इनकार करते हुए उन्हें वापस भेज दिया और राम से मिलने की प्रतीक्षा करने लगे। राम यहां आने वाले हैं इस बात की खबर चारो तरफ फैल चुकी थी और शरभंग मुनि के आश्रम के आस पास साधू संतों की भरी भीड़ लगी हुई थी। भगवान् राम लक्ष्मण और सीता के साथ शरभंग मुनि के आश्रम पधारे और शरभंग मुनि ने उनकी स्तुति करने के बाद राम को आदेश दिया कि वह तब तक खड़े रहे और मुस्कुराते रहें जब तक वह योगबल से अग्नि प्रगट कर खुद को उसमें पूरी तरह भस्म ना हो जाएँ। राम ने ऐसा ही किया और जैसे ही शरभंग मुनि ने अपने शरीर को योगाग्नि में ...
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