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Showing posts from December, 2014
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चित्रकूट जहां कण-कण में बसते है राम   कामदगिरि मुखार बिंदु  चित्रकूट आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था का सर्वश्रेष्ठ केंद्र है। यह वह भूमि है जहां पर ब्रह्म , विष्णु और महेश तीनों देव का निवास है। भगवान विष्णु ने श्री राम रूप में यहां वनवास काटा था, तो ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के लिए यहां यज्ञ किया था और उस यज्ञ से प्रगट हुआ शिवलिंग धर्मनगरी चित्रकूट के क्षेत्रपाल के रूप में आज भी विराजमान है और भगवान शिव महाराजाधिराज मत्यगेंद्रनाथ के रूप में लोगों को सुख व समृद्धि बांट रहे हैं। चित्रकूट भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में एक है। उत्तर प्रदेश में 38.2 वर्ग किमी. में फैला यह तपोभूमि शांत और सुन्दर तो है ही आध्यात्म में भी विशिष्ट स्थान रखती है। यह धरा प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है। चारों ओर से विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्यो की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनार बने अनेक घाट और मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो मे...
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 संत जला रहे शिक्षा की ज्योति महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय  चित्रकूट दुनिया भर में धर्म और आस्था के केंद्र के रूप में विख्यात चित्रकूट में अब संतजन शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। नानाजी देशमुख के प्रयास से स्थापित चित्रकूट ग्रामीण विश्वविद्यालय से शुरू हुआ सफर लगातार मंजिल की ओर बढ़ रहा है। पूजा और श्रद्धा के लिए जाने जाते रहे संत इस सफर को दिशा दे रहे हैं। नानाजी देशमुख ने अनुसुइया आश्रम के महंत स्वामी भगवानानंदजी महाराज के आग्रह पर वर्ष 1991 में देश के पहले ग्रामीण विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। नानाजी ने इसका लक्ष्य धर्मनगरी में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन एवं सदाचार के लिए काम करना निर्धारित किया था। उन्होंने धर्मनगरी में दीनदयाल शोध संस्थान के माध्यम से उद्यमिता विद्यापीठ, कृषि विज्ञान केन्द्र, सुरेन्द्रपाल ग्रामोदय विद्यालय, गुरुकुल संकुल, शैक्षणिक अनुसंधान केन्द्र, दिशादर्शन केन्द्र, जन शिक्षण संस्थान, आजीवन स्वास्थ्य संवर्धन महाविद्यालय, गौविकास एवं अनुसंधान केन्द्र, रामनाथ आश्रमशाला, कृष्णादेवी वनवासी बालिका आवासीय विद्यालय, परमानंद आश्रम पद्...