आखिर ‘फ्री जोन’ का कहां फंसा है पेंच

--वर्ष 1993 में केंद्रीय मंत्री अजरुन सिंह की पहल पर मध्य प्रदेश सरकार ने जारी कर दी थी --अधिसूचना 1630 अप्रैल 93 की मध्य रात्रि खत्म कर दिया था अंतर्राज्यीय चेक पोस्ट

इन स्थान व मार्ग को किया था शामिल 

गुप्त गोदावरी, सती अनुसुइया आश्रम, स्फटिक शिला, जानकीकुंड, प्रमोदवन, कामतानाथ (कामदगिरि), सीताचरण, हनुमानधारा,  सीतारसोई,  कोटितीर्थ, देवांगना, रामघाट,  बांके बिहारी,  वाल्मिकी आश्रम,  भरतकूप,  राजापुर


Click here to enlarge imageहेमराज कश्यप, चित्रकूट _चित्रकूट में रम रहे रहिमन अवध नरेश, जापर विपदा पड़त है सो आवत यदि देश।। रहीम दास का यह दोहा बताता है कि विपत्तियों को हरने वाली प्रभु श्रीराम की तपोभूमि है। लेकिन वह खुद संकट में घिरी है दो प्रदेश सरकार के पाटों के बीच पिस रही है। इस धरा को ‘फ्री जोन’ बनाने की मांग काफी असरे से हो रही है लेकिन आज तक लोगों की आस पूरी नहीं हुई। जबकि वर्ष 1993 में ही दोनों सूबे के राज्यपाल में आम सहमति बन गई थी और मध्य प्रदेश परिवहन विभाग ने ‘फ्री जोन’ की अधिसूचना भी जारी कर दी थी। आखिर फिर क्या वजह है कि 28 साल बाद भी उसको अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। चित्रकूट 84 कोस में बसा एक ऐसा परिक्षेत्र है जो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरहद में विंध्य पर्वत श्रंखला से घिरा है। प्रभु श्रीराम ने यहां पर वनवास काल के साढ़े बारह साल काटे थे। उनके जीवन की यादों को सजोए दर्जनों स्थान इस परिक्षेत्र में है जो कुछ मध्य प्रदेश और कुछ उत्तर प्रदेश में है। आने वाले सैलानियों को इन धार्मिक स्थलों तक पहुंचने के लिए दोहरा टैक्स चुकाना पड़ता है। अजर्न सिंह की पहल लाई थी रंग वर्ष 1993 में सतना से सांसद रहे अजर्न सिंह केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री थे उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री भगवान सिंह यादव की पहल पर धर्मनगरी को ‘फ्री जोन’ बनाने का बीड़ा उठाया था। एमपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और राज्यपाल कुंवर महमूद अली खान से धर्मनगरी को कर मुक्त घोषित करा भी लिया है। फिर उन्होंने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल बोरा तो भी पत्र लिखा था लेकिन वह कुछ करते पहले उनको हटना पड़ा। उनकी जगह आए राज्यपाल बी सत्यनारायण रेड्डी को भी अजरुन सिंह ने पत्र लिखा। इसी दौरान एमपी परिवहन विभाग ने अधिसूचना जारी कर उत्तर प्रदेश सरकार को पारंपरिक परिवहन करार का पत्र लिखा था। उस समय चित्रकूट को ‘फ्री जोन’ घोषित किए जाने की खबरे दोनों प्रदेश के समाचार पत्रो में प्रमुखता के प्रकाशित हुई थी। 129 अप्रैल 93 को जारी हुई थी अधिसूचना1 मध्य प्रदेश परिवहन विभाग ने 29 अप्रैल 1993 को चित्रकूट को ‘फ्री जोन’ की घोषणा करते हुए 30 अप्रैल की मध्य रात्रि से अंतर्राज्यीय चेक पोस्ट खत्म कर दिया था। अधिसूचना में कहा गया था कि दोनों राज्यो के बीच यात्रियों और माल के लंबी दूरी के अंतर्राज्यीय परिवहन को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसमें दोनो प्रदेश में पड़ने वाले करीब डेढ़ दर्जन स्थान व मार्गो को लिया गया था। 1राज्यपाल रामनाइक के आश्वासन से जगी है आस1लोगों का मानना है कि चित्रकूट के ‘फ्री जोन’ में जो अड़चन है वह उत्तर प्रदेश सरकार है। क्योंकि अभी तक उसने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिसे संतोषजनक कहा जा सके। वैसे फरवरी में प्रदेश के राज्यपाल रामनाइक धर्मनगरी रामायण मेला के उद्घाटन में आए थे। तब उन्होंने कहा था कि यहां पर भारत पाकिस्तान की सीमा जैसा कोई विवाद तो है नहीं फिर ‘फ्री जोन’ बनने में क्या अडचन है। वह इसके लिए प्रयास करेंगे। ऐसे में लोगों को आस जगी है कि जो काम कई सालों से नहीं हो पाया है अब हो जाएगा। क्यों कि प्रदेश की सपा सरकार भी धर्मनगरी के विकास के प्रति चिंतित है। यह गौर करने वाली बात है जब वर्ष 1993 में दोनों प्रदेश के राज्यपालों को बीच समझौता हुआ था उस समय भी प्रदेश में सपा की सरकार थी और मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे। 1भगवान सिंह फिर कर रहे सभी को लामबंद 1पूर्व मंत्री भगवान सिंह यादव ने जो अलख जगाई थी उसमें फिर काम शुरु कर दिया है उन्होंने धर्मनगरी में जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य, महंत दिव्यानंद महराज, स्वामी रामस्वरुपाचार्य, ओंकारदास, दिव्यजीवनदास, राजकुमार दास, रामहृदय दास और पूर्व सभासद बाबा सियाराम दास यादव सहित तमाम संत, महंत और समाजसेवियों को पत्र भेज इस मिशन में शामिल होने की अपील की है।

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