...शक्ति रुपेण संस्थिता
अयोध्या की कुलदेवी चित्रकूट में वनदेवी
प्रभू श्रीराम की तपोस्थली में स्थित एक मात्र शक्तिपीठ व प्रभू राम की कुलदेवी का है। धार्मिक नगरी अयोध्या की कुलदेवी को चित्रकूट में वनदेवी के रूप में पूजा जाता है। इस देवी मंदिर का शक्तिपीठों में 51 वां स्थान है जिनकी महिमा अपार है जो सभी की मनोकामनाओं को पूर्ण करती है।
इतिहास : 'कुलदेवी कुलदेव उदारा, करहहि सास ससुर सम छाया अर्थात ये अयोध्या की कुलदेवी प्रभू श्रीराम और माता सीता की रक्षा के लिये चित्रकूट आकर स्थापित हुई थी। इस स्थान का उल्लेख देवी पुराण में 52 शक्तिपीठों में से एक शक्ति पीठ के नाम से भी है। वनदेवी को शिवानी वनदुर्गा भी कहा जाता है। बताते है कि श्रीराम जब वनवास को यहां आए थे तो माता कौसिल्या ने अपनी बहू सीता और पुत्र राम की रक्षा करने के लिये कुलदेवी को चित्रकूट में लाकर विराजमान किया था।
ऐसे पहुंचे : वनदेवी शक्तिपीठ धर्मनगरी में नयागांव थाना (मध्य प्रदेश) क्षेत्र में हनुमानधारा मार्ग पर स्थिति है। जिला मुख्यालय से यह स्थान 12 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए दो मार्ग है एक रामघाट होकर हनुमानधारा के लिए और दूसरा देवांगना होकर रामघाट के लिए। रामघाट की ओर से जाने में टेंपो मिल जाती है जबकि देवांगना मार्ग से अपने निजी साधन से जाना होगा।
पेशवा कालीन काली मंदिर
चित्रकूट जिला मुख्यालय में पुरानी बाजार स्थिति पेशवा कालीन काली के बारे में मान्यता है कि यहां पर जो भी मुराद मांगी जाती है वह पूरी होती है। शरदीय व चैत्र नवरात्र में नौ दिन देवी भक्तों का तांता लगता है। जिसके लिए प्रशासन को अलग से इंतजाम करने पडते है। वैसे पूरे साल यहां पर कई जनपद से लोग अपनी मुरादे लेकर आते है।
इतिहास
काली मंदिर में स्थापित कालिका की मूर्ति कोलकत्ता से लाई गई थी। विनायक राव पेशवा ने काली माता की स्थापना करके यह मंदिर बनवाया था। इस मंदिर के सामने उन्होंने ज्योति स्तंभ भी बनवाया था जिसमे नवरात्रि व दीपावली में लोग दीपक जलाते थे लेकिन आज यह स्तंभ अतिक्रमण की जद में है। मंदिर में प्राचीन काली माता की प्रतिमा के अलावा उनकी सवारी शेर आंगन में स्थापित है। जबकि पीछे शीतला माता और बगल में खो-खो माता की भी प्राचीन मूर्ति हैं। वैसे अब मंदिर में तमाम अन्य देवी देवताओं की मूर्तियों की भी प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है। इस मंदिर में एक भूतल भी है लेकिन उसको बंद कर दिया गया है। बताते हैं कि मंदिर के नीचे बड़ा तहखाना है जिसके बीचो बीच एक कूप है। अब इस तहखाना को बंद कर दिया गया है।
कैसे पहुंचे
चित्रकूट जिला मुख्यालय के पुरानी बाजार स्थिति काली देवी मंदिर में पहुंचने के लिए कोई खास मशक्कत की जरुरत नहीं है। स्टेशन से रिक्सा या टैक्सी से पुरानी बाजार चौराहा उतर कर मंदिर पहुंचा जा सकता है। चौराहा से पचास मीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में यह मंदिर है।
अयोध्या की कुलदेवी चित्रकूट में वनदेवी
प्रभू श्रीराम की तपोस्थली में स्थित एक मात्र शक्तिपीठ व प्रभू राम की कुलदेवी का है। धार्मिक नगरी अयोध्या की कुलदेवी को चित्रकूट में वनदेवी के रूप में पूजा जाता है। इस देवी मंदिर का शक्तिपीठों में 51 वां स्थान है जिनकी महिमा अपार है जो सभी की मनोकामनाओं को पूर्ण करती है।
इतिहास : 'कुलदेवी कुलदेव उदारा, करहहि सास ससुर सम छाया अर्थात ये अयोध्या की कुलदेवी प्रभू श्रीराम और माता सीता की रक्षा के लिये चित्रकूट आकर स्थापित हुई थी। इस स्थान का उल्लेख देवी पुराण में 52 शक्तिपीठों में से एक शक्ति पीठ के नाम से भी है। वनदेवी को शिवानी वनदुर्गा भी कहा जाता है। बताते है कि श्रीराम जब वनवास को यहां आए थे तो माता कौसिल्या ने अपनी बहू सीता और पुत्र राम की रक्षा करने के लिये कुलदेवी को चित्रकूट में लाकर विराजमान किया था।
ऐसे पहुंचे : वनदेवी शक्तिपीठ धर्मनगरी में नयागांव थाना (मध्य प्रदेश) क्षेत्र में हनुमानधारा मार्ग पर स्थिति है। जिला मुख्यालय से यह स्थान 12 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए दो मार्ग है एक रामघाट होकर हनुमानधारा के लिए और दूसरा देवांगना होकर रामघाट के लिए। रामघाट की ओर से जाने में टेंपो मिल जाती है जबकि देवांगना मार्ग से अपने निजी साधन से जाना होगा।
पेशवा कालीन काली मंदिर
चित्रकूट जिला मुख्यालय में पुरानी बाजार स्थिति पेशवा कालीन काली के बारे में मान्यता है कि यहां पर जो भी मुराद मांगी जाती है वह पूरी होती है। शरदीय व चैत्र नवरात्र में नौ दिन देवी भक्तों का तांता लगता है। जिसके लिए प्रशासन को अलग से इंतजाम करने पडते है। वैसे पूरे साल यहां पर कई जनपद से लोग अपनी मुरादे लेकर आते है।
इतिहास
काली मंदिर में स्थापित कालिका की मूर्ति कोलकत्ता से लाई गई थी। विनायक राव पेशवा ने काली माता की स्थापना करके यह मंदिर बनवाया था। इस मंदिर के सामने उन्होंने ज्योति स्तंभ भी बनवाया था जिसमे नवरात्रि व दीपावली में लोग दीपक जलाते थे लेकिन आज यह स्तंभ अतिक्रमण की जद में है। मंदिर में प्राचीन काली माता की प्रतिमा के अलावा उनकी सवारी शेर आंगन में स्थापित है। जबकि पीछे शीतला माता और बगल में खो-खो माता की भी प्राचीन मूर्ति हैं। वैसे अब मंदिर में तमाम अन्य देवी देवताओं की मूर्तियों की भी प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है। इस मंदिर में एक भूतल भी है लेकिन उसको बंद कर दिया गया है। बताते हैं कि मंदिर के नीचे बड़ा तहखाना है जिसके बीचो बीच एक कूप है। अब इस तहखाना को बंद कर दिया गया है।
कैसे पहुंचे
चित्रकूट जिला मुख्यालय के पुरानी बाजार स्थिति काली देवी मंदिर में पहुंचने के लिए कोई खास मशक्कत की जरुरत नहीं है। स्टेशन से रिक्सा या टैक्सी से पुरानी बाजार चौराहा उतर कर मंदिर पहुंचा जा सकता है। चौराहा से पचास मीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में यह मंदिर है।
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