चित्रकूट जहां कण-कण में बसते है राम कामदगिरि मुखार बिंदु चित्रकूट आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था का सर्वश्रेष्ठ केंद्र है। यह वह भूमि है जहां पर ब्रह्म , विष्णु और महेश तीनों देव का निवास है। भगवान विष्णु ने श्री राम रूप में यहां वनवास काटा था, तो ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के लिए यहां यज्ञ किया था और उस यज्ञ से प्रगट हुआ शिवलिंग धर्मनगरी चित्रकूट के क्षेत्रपाल के रूप में आज भी विराजमान है और भगवान शिव महाराजाधिराज मत्यगेंद्रनाथ के रूप में लोगों को सुख व समृद्धि बांट रहे हैं। चित्रकूट भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में एक है। उत्तर प्रदेश में 38.2 वर्ग किमी. में फैला यह तपोभूमि शांत और सुन्दर तो है ही आध्यात्म में भी विशिष्ट स्थान रखती है। यह धरा प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है। चारों ओर से विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्यो की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनार बने अनेक घाट और मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो मे...
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